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Ganesh or Vinayak Chaturthi-Rohit Kumar Parmar

Ganesh or Vinayak Chaturthi

-Rohit Kumar Parmar



Pic GanCh 01


Shri Ganesha Sholka/Mantra

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥


Ganesh/Vinayaka Chaturthi/Chavitī celebrates the birth of Ganesh, by installing Ganesh idols in homes and public places. Ganesh Chaturthi is celebrated on Shukla Chaturthi in Bhadrapad, corresponding to August/September of the Gregorian calendar and is celebrated for 10 days, ending with visarjan (immersion in water) of Lord Ganesha on Anant Chaturdashi, with music and groups chanting गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आना, in a nearby water body. Author recalls a small water tank in Lalbagh Botanical garden, Bengaluru in 2014 for ecofriendly immersion of Ganpati. Author also hopes that in view of the present covid crisis, steps are taken to minimize the gathering, adhering to covid appropriate behaviour, with or without government order/s.


Shri Bal Gangadhar or Lokmanya Tilak in Pune in 1893, as part of the freedom struggle to mobilise masses, restarted the practice of celebrating festivals including Ganesh Chaturthi in public places in pandals.


Lord Ganesha is identified for auspicious starting of an activity, so when a new activity is started we say श्री गणेश; with the removal of obstacles we say विग्ना हरता; and also as the God of wisdom and intelligence. Ganesha has many attributes and can be identified by his elephant head, which has a mythological story. It possibly also shows harmony with non-human living beings.


Offerings and prasāda are distributed to the community, and include sweets such as modaka, favourite of Lord Ganesh and other variety of Laddu {Til (sesame) and Jaggery; Besan (made of gram/chickpea flour)}.



Pic GanCh 02 Sliced Modak showing the filling


Prayer and Celebrations include chanting of Vedic hymns and Hindu texts, prayers and vrata (fasting). The principal texts on Ganesha include the Ganesha Purana, the Mudgala Purana and Ganapati Atharvashirsa. Brahma Purana and Brahmanda Purana are other two Puranic genre encyclopaedic texts that cover Ganesh.


Ganesh Chaturthi is celebrated in India, especially in states such as Maharashtra, Karnataka, Rajasthan, Madhya Pradesh, Andhra Pradesh, Telangana, Odisha, Goa, West Bengal, Gujarat, Chhattisgarh and Tamil Nadu and in Nepal and by the diaspora.




Pic GanCh 03 Ecofriendly Visarjan of Ganpati


Shri Ganesha Aarti


जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती

पिता महादेवा ॥


एक दंत दयावंत,

चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे

मूसे की सवारी ॥


जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती

पिता महादेवा ॥


पान चढ़े फल चढ़े,

और चढ़े मेवा ।

लड्डुअन का भोग लगे

संत करें सेवा ॥


जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती

पिता महादेवा ॥


अंधन को आंख देत,

कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत

निर्धन को माया ॥


जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती

पिता महादेवा ॥


'सूर' श्याम शरण आए,

सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती

पिता महादेवा ॥


जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती

पिता महादेवा ॥


दीनन की लाज रखो,

शंभु सुतकारी ।

कामना को पूर्ण करो

जाऊं बलिहारी ॥


जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती

पिता महादेवा ॥




Shri Siddhivinayak Aarti: Jai Dev Jai Dev

श्री सिद्धिविनायक आरती: जय देव जय देव


ॐ ॐ ॐ

वक्रतुण्ड महाकाय

सूर्यकोटि समप्रभा

निर्विघ्नं कुरुमेदेव

सर्वकार्येषु सर्वदा

ॐ…


ॐ गण गणपतये नमो नमः

श्री सिद्धि विनायक नमो नमः

अष्टविनायक नमो नमः

गणपति बाप्पा मोरया

मंगल मूर्ति मोरया


ॐ गण गणपतये नमो नमः

श्री सिद्धि विनायक नमो नमः

अष्टविनायक नमो नमः

गणपति बाप्पा मोरया

मंगल मूर्ति मोरया


ॐ गण गणपतये नमो नमः

श्री सिद्धि विनायक नमो नमः

अष्टविनायक नमो नमः

गणपति बाप्पा मोरया

मंगल मूर्ति मोरया


ॐ गण गणपतये नमो नमः

श्री सिद्धि विनायक नमो नमः

अष्टविनायक नमो नमः

गणपति बाप्पा मोरया

मंगल मूर्ति मोरया


सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची

नूरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची

सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदुराची

कंठी झळके माल मुक्ताफळाची

जय देव, जय देव

(जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ति

दर्शनमात्रे मानकामना पूर्ति

जय देव, जय देव)

(जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ति

दर्शनमात्रे मान कामनापूर्ति

जय देव, जय देव)


रत्नखचिता फरा तुझा गौरीकुमारा

चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा

हीरेजडित मुकुट शोभतो बरा

रुणझुणती नुपुरे चरणी घागरिया

जय देव, जय देव

(जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ति

दर्शनमात्रे मान कामनापूर्ति

जय देव, जय देव)

(जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ति

दर्शनमात्रे मान कामनापूर्ति

जय देव, जय देव)


सेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को

दोंदिल लाल बिराजे सूत गौरिहार को

हाथ लिए गुड़ लड्डू साईं सुरवर को

महिमा कहे न जाय लागत हूँ पद को

जय देव, जय देव


(जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव, जय देव)

(जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव, जय देव)


लंबोधर पीताम्बर फणिवर बंधना

सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना

दास रामाचा वाट पाहे सदना

संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव, जय देव

(जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ति

दर्शनमात्रे मान कामनापूर्ति

जय देव, जय देव)

(जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ति

दर्शनमात्रे मान कामनापूर्ति

जय देव, जय देव)


आस्था सीधी दासी संकट को बैरी

विघ्न विनाशन मंगल मूरत अधिकारी

कोटि सूरज प्रकाश ऐसी छवि तेरी

गंडस्थल मदमस्तक झूले शशि बिहारी

जय देव, जय देव


(जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव, जय देव)

(जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव, जय देव)


भावभगत से कोई सहारा नागत आवे

संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे

ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे

गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय देव, जय देव


(जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव, जय देव)

(जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव, जय देव)


(जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ति

दर्शनमात्रे मान कामनापूर्ति

जय देव, जय देव)

(जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ति

दर्शनमात्रे मान कामनापूर्ति

जय देव, जय देव)

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